देख तमाशा लोकतंत्र का
‘‘अपने-आप से सवाल करता हू
क्या आजादी तीन थके हुए रंगों का नाम है ,
एक पहिया ढोता है,
या इसका कोई खास मतलब होता है?
न कोई पूजा है, न कोई तंत्र है,
यह आदमी के खिलाफ
आदमी का खुला षड्यंत्र है।’’-धूमिल
संविधान
यह पुस्तक मर चुकी है
इसे न पढ़ें इसके शब्दों मंे मौत की ठंडक है
और एक - एक पृष्ठ जिंदगी के आखरी पल
जैसा भयानक यह पुस्तक जब बनी थी तो मैं पशु था
सोया हुआ पशु ओर जब मैं जगा
तो मेरे इंसान बनने तक
यह पुस्तक मर चुकी थी
अब यदि तुम भी इस
पुस्तक को पढ़ोगे तो
पशु बन जाओगे सोए हुए पशु।
-अवतार सिंह पाश
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