Thursday, January 14, 2010

विवाह पूर्व यौन संबंधों की प्रवृत्ति

विवाह पूर्व यौन संबंधों की प्रवृत्ति अब आधुनिक शहरी समाज की बपौती नहीं रही। एक अध्ययन के अनुसार राजस्थान के दस हजार युवक युवतियों में से डेढ हजार युवकों और तीन सौ युवतियों ने माना कि उन्होंने शादी से पहले अपने साथी के साथ शारीरिक सम्बध बनाये थे। इनमें ग्रामीण युवकों की संख्या अधिक है।
अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान मुम्बई द्वारा 15 से 24 वर्ष के अविवाहित एवं विवाहित युवक और युवतियों तथा 29 साल के अविवाहित पुरूषों पर कराये गये एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया कि राजस्थान में पंद्रह प्रतिशत युवक और दो प्रतिशत युवतियां विवाह से पूर्व अपने साथी के साथ यौन संबंध बना चुके हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान मुम्बई के डा राजीव आचार्य ने अध्ययन रिपोर्ट के हवाले से भाषा से कहा यह दर शहरी युवकों के मुकाबले ग्रामीण युवकों में अधिक थी। उन्होंने बताया कि सत्ररह प्रतिशत ग्रामीण युवकों की तुलना में शहरी युवक मात्र ज्ञारह प्रतिशत थे।
उन्होंने बताया कि अध्ययन के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि किसी भी युवक ने अपने विवाह पूर्व यौन सम्बध की जानकारी अभिभावकों को नहीं दी। उन्होंने बताया कि दो से तीन प्रतिशत युवतियों ने कहा कि उन्होंने यौन सम्बंधों की जानकारी तो अपने अभिभावकों को नहीं दी, लेकिन गर्भनिरोधक विषयों पर चर्चा जरूर की। रिपोर्ट के अनुसार करीब एक हजार चार सौ युवकों ने स्वीकार किया कि उन्होंने एक से अधिक लड़कियों के साथ संबंध बनाए और चार से छह प्रतिशत युवक और युवतियों ने गर्भनिरोधक साधनों का इस्तेमाल करने की बात कही। इनमें से उन्नीस प्रतिशत युवक और युवतियों ने बताया कि प्रेमी ने उनपर शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डाला। डा आचार्य ने कहा कि युवक युवतियों को यौन एवं प्रजनन संबंधी विषयों पर बहुत सीमित जानकारी थी। 34 प्रतिशत युवकों और 47 प्रतिशत युवतियों का मानना था कि प्रथम शारीरिक सम्बंध से गर्भ ठहर सकता है। नब्बे प्रतिशत युवक युवतियों को गर्भनिरोधक तरीकों के बारे में सीमित जानकारी थी।
रिपोर्ट में कहा गया है चौसठ प्रतिशत युवकों और 86 प्रतिशत युवतियों ने एचआईवी और एडस का नाम तो सुना था, लेकिन इस बारे में उन्हें पूरी जानकारी नहीं थी। अध्ययन में 66 प्रतिशत युवकों और 86 प्रतिशत महिलाओं ने यौन शिक्षा ग्रहण करने की इच्छा जताते हुए कहा कि अध्यापकों या विशेषज्ञों से यौन शिक्षा दी जानी चाहिए। अध्ययन के अनुसार राजस्थान में कम उम्र में विवाह का सिलसिला अनवरत जारी है यही कारण है कि करीब एक चौथाई युवतियों की शादी पंद्रह साल से पहले हो जाती है तथा साठ प्रतिशत युवतियों का विवाह अठारह साल से पहले हो जाता है।
डा केजी संध्या ने अध्ययन के हवाले से कहा कि ज्ञारह प्रतिशत युवकों और इक्कीस प्रतिशत युवतियों में मानसिक स्वास्थ्य विसंगति के लक्षण पाये गये। इनमें अधिकांश युवक एवं युवतियों ने बताया कि वे जीवन में उपयोगी भूमिका नहीं निभा रहे हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि विभिन्न कारणों से तनाव और उदासी के कारण ठीक से नींद भी नहीं आती। तेइस प्रतिशत युवक और तेरह प्रतिशत युवतियां समुदाय द्वारा संचालित गतिविधियों में भाग लेते हैं। अस्सी प्रतिशत युवक और पैसठ प्रतिशत युवतियों का मतदान सूचियों में नाम होने के बावजूद अधिकांश ने मताधिकार का उपयोग नहीं किया। अध्ययन बताता है कि दस प्रतिशत युवक और पांच में से दो युवतियां कभी स्कूल नहीं गए। वहीं राज्य में मात्र 38 प्रतिशत किशोर और अठारह प्रतिशत किशोरियों ने ही माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा प्राप्त की है। सर्वेक्षण में 46 प्रतिशत युवकों और 63 प्रतिशत युवतियों ने व्यावसायिक प्रशिक्षण ग्रहण करने की इच्छा जताई। इनमें से बारह प्रतिशत युवकों और बाइस प्रतिशत युवतियों ने किसी न किसी तरह का व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

लिव-इन-रिलेशनशिप…जिन्दगी या मौत.?

सुनीता शर्मा ऋषिकेश से



पायल इन दिनों काफी उदास नजर आती है चहरे का रंग उडा हुआ बदहवास बहुत ही गमगीन लगती है किसी से मिलती भी नही वजह मालूम पडी तो आजकल महानगर में किसी लडके के साथ बिना शादी के साथ रह रही थी जब पायल पर शादी के लिए घरवालों का दबाव पडा तो लडके न साफ मना कर दिया कि वह उसे चाहता जरूर है लेकिन विवाह नही कर सकता क्योकि उसके घर वाले इस रिश्ते से सहमत नही है और वह वही शादी करेगा जहां उसके घर वाले चाहेगे पायल के घर वालो के दबाव के चलते दोनो अलग तो हो गये इस अलगाव का पायल सहन न कर सकी और डिपरेशन का शिकार हो चुकी है, वह न तो अन्यत्र विवाह करने की इच्छुक है न ही जीने की कोई ख्वाहिश रखती है वह इसके लिए अपने घर वालो को कसूर वार मानती है । यह सब तो होना ही था क्योकि हमारी नौजवान पीढी पश्चिम सभ्यता की प्रवृत्तियों अपना तो रही है पर अभी वो अपने मन को इस योग्य नही बना सके ।

लिव -इन-रिलेशनशिपः यही नाम दिया जाता है शादी से पहले लडका लडकी का एक साथ रहना। अभी इस रिश्ते की कोई परिभाषा नही है। दो में से एक को कभी ना कभी अलग तो होना ही है यह तो वो जानते ही पर क्या अलग होने के बाद वो खुश रहते है एक चाहे साथ रहना दुसरा चाहे अपनी मंजिल कही ओर तलाश करना तय भी कर लेते है शादी कर लेंगे कुछ समय बाद नही तो अलग हो जायेगे कोई कानुनी प्रकि्रया नही। लिव -इन- रिलेशनशिप, इसी रिश्ते पर एक फिल्म आयी थी प्रीति जिन्टा एवं सैफ अली खान दारा अभिनीत इस फिल्म में इसी रिश्तें ताना बाना कहानी में बुना गया था।आप को याद होगा फिल्म का नाम था सलाम-नमस्ते।अतः में दोनो शादी कर लेते है। पर एक रिश्ता जो मौत के मुंह में धकेल दे जो खुशिया मिलती वो न मिल पाये एक दुसरे में इतना खो गये कि अपनी सीमाओं को भुल जाते है फिर अलग होने पर रोना धोना क्यु?

सच तो यह है कि कुछ लोग इस रिश्ते की तुलना एक तरह के खेल से करते है जैसे तुम्हारी उम्र कितनी थी जब तुमने साथ रहना शुरू किया कितना रोचक है ना ये सब आप अपनी यात्रा श्ुारू कर चुके होते है पर स्टेशन का पता नही । इस यात्रा म दो सहयात्री तो होते है पर उनकी मंजिल का पता नही यह यात्रा है पडाव नही। कुछ इसकी तुलना उस नयी कार की ट्ायल से करते है जिसे एक टेस्ट के बाद तय किया जायेगा कि उसे खरीदे या नही लेकिन कार की कोई इमोशन नही होती लेकिन क्या आप कार बनना हिस्सा?

साथ रहना जरूरी क्यू?

कुछ लोगो का मानना है कि कुछ जोडे साथ में इसलिए रहते है कि वो एक दुसरे को चाहते है और शादी कर लेगे और कर भी लेते है।कुछ इसलिए भी कि शादी के लिए धन बचा सके जब शादी करनी ही है। अलग रह कर खर्चा क्यू करे यही पैसा बाद में काम आयेगा।इस तरह के रिश्तों के लिए कुछ को परिवार की नाराजगी का सामना करना पडता है तो कुछ को सहमति मिल भी जाती है। कभी चाहत में इस कदर होना कि उसके बगैर कुछ और नही ।पश्चिम सभ्यता की देखा देखी,विचारों में खुलापन और एक बडी वजह अकेलापन,परिवार से दूरी,शादी होने में देरी होना,एक दुसरे साथ तो रहते है पर परिवार की ख्वाहिश नही होना केवल इनजायमेन्ट के लिये,करियर के लिए ।

लिव-इन -रिलेशनशिपःइस रिश्ते का सकारात्मक पहलु- जो लोग एक दूसरे को प्यार करते है और साथ रहना चाहते है क्या ये रिश्ता लम्बे समय के लिए है या नही? जान जाते है यदि करियर की जीवन में परिवार से ज्यादा अहमयित हो क्योकि हरएक के लिए शादी से अहम करियर होता है फिर शादी के बन्धन में पडने से अच्छा यही तरीका होता है ताकि आगे चल कर झगडे न हो।विवाह कर पाने में असमर्थ लोगो के लिए एवं सीनियर सीटिजन के लिए भी लिव-इन-रिलेशनशिप का विकल्प सही है।

कुछ सुझाव इस रिश्ते के लिए-नई पीढी,वो जो आजाद ख्यालों वाले है उनके बेहतर होता है कि वह शादी से पहले ही एक दूसरे को बेहतर समझ ले ताकि बाद में टकराव न हो और विवाह संस्था स छुटकारा पाने के लिए तमाम कानुनी झंझटों मे व मानसिक परेशानियों से बचा जा सके। विवाह विच्छेद का दर्द सर्वाधिक बच्चों को झेलना होता है और उनके व्यक्तित्व पर छाप छोड देता है।वे जोडे जो इसी रिश्ते में रहना चाहते है उनके लिए बेहतर कि यदि वो आगे जाकर शादी करना चाहते है तो एक तिथि का निर्धारण करे तब साथ रहे ६महीने या एक साल एक समय का चुनाव गंभीरता से कर,

और उस पर कायम रहे ।अपने आप को मानसिक रूप से तैयार रखे एक न एक दिन अलग होना ही है। अतिसंवेदनशील लोगो को इस तरह के रिश्तों से दूर ही रहना चाहिए वो अलग होने की स्थिति में तनाव व मानसिक अवसाद का शिकार हो जाते है।जहा तक हो सके अपनी इच्छाओं से अवगत रखे एक दुसरे को समझें एक,लिमिट लाइन का ध्यान रखें । जहां तक हो सके अपने परिवार वालो को बता दे और उनकी अनुमति लेने की कोशिश करे। एक लिखित दस्तावेज रखे ताकि आपका पार्टनर आपकों कभी छोडे तो कोई बेजा शर्त आफ सामने रखे ।जहां तक मै मानती हुं। यदि समाज म कोई इस तरह रिश्तों में रहता है तो उसे इसकें लिए खुद को मानसिक व शारीरिक रूप से खुद को सचेत रखना होगा रूख सकारात्मक रखे भावुक न बने । वैसे भी जब पश्चिम समाज की प्रवृत्तियों को अपनाया है अपनी विचारधारा को भी बदले केवल नकल व माहौल का अनुसरण न कर के अपनी भावनाओं को भी उसी रूप में ठाल लें तभी सहज रूप से खुशियां मिलेगी अन्यथा सिर्फ डिप्ररेशन या……….।

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