साभार ः- जनसत्ता 28 दिसंबर, 2009
सेज से जुड़े कारोबारी कर रहे तेलंगाना का विरोध
नेषनल फोरम फार तेलंगाना और जवाहरलाल नेहरू विष्वविद्यालय फोरम फोर तेलंगाना ने तेलंगाना राज्य के गठन के खिलाफ हो रहे आंध्र प्रदेष के तटीय इलाकों रायलसीमा मंे “ाुरू हुए विरोध को स्वार्थ से प्रेरित कुछ खास ‘व्यवसायियों’ का आंदोलन करार दिया। इस बाबत बुलाए पत्रकार सम्मेलन मंे फोरम के सदस्यों ने नई दिल्ली मंे कहा कि जो लोग तेलंगाना राज्य के गठन मंे रोड़ा अटका रहे हैं उनका स्वार्थ हैदराबाद मंे बन रहे विषेश आर्थिक क्षेत्र ‘सेज’ से जुड़ा है। इस मौके पर जेएनयू तेलंगाना फोरम से नरेष, सीपीआई माले, के न्यू डेमोक्रेसी से अपूर्णा , दिल्ली विष्वविद्यालय के प्रोफेसर साईं बाबा और इग्नू के कृश्णदेव राव मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना राज्य समर्थकों का आंदोलन चरम पर है। लेकिन सरकार का रुख छात्रों को लेकर कड़ा है। काकातिया विष्वविद्यलय और उस्मानिया विष्वविद्यालय को सैनिक षिविर बना दिया गया है। कई छात्रों के खिलाफ कार्यवाही की गई है। उन्होंने छात्रों पर लगाई गई धाराओं को वापिस लेने की मांग की। आंध्र प्रदेष सरकार से अपील की कि वह सभी छात्रों के खिलाफ आंदोलन संदर्भ मंे दायर मुकदमों को वापिस ले। इसके अलावा केंद्र सरकार से समय-सीमा के भीतर तेलंगाना राज्य की घोशणा व इसकी सीमा के निर्धारण की भी मांग की गई ।
इस मौके पर वक्ताओं ने बताया कि दरअसल हैदराबाद ‘सेज हब’ के रूप मंे उभर चुका है। यह “ाहर 22 सौ वर्ग किलोमीटर से बढ़कर छह हजार आठ सौ वर्ग किलोमीटर के दायर ेमंे हो गया है। देष के 513 सेज इलाकों मंे से 73 आंध्र प्रदेष मंे हैं। उनमंे से भी 60 से ज्यादा केवल हैदराबाद व आसपास बनाए गए हैं। लिहाजा इससे जुड़े लोग नहीं चाहते कि हैदराबाद टूटे। इन्हीं लोगों के दबाव मंे कुछ राजनेता तेलंगाना राज्य के मुद्दे पर रोड़ा अटका रहे हैं। इतना ही नहीं उनकी तैयारी है कि यदि हैदराबाद, तेलंगाना में आता है तो हर कीमत पर उसे केंद्र प्रषासित प्रदेष बनावा दिया जाए ताकि इसे तेलंगाना का हिस्सा बनने से रोका जा सके ।
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